कितने ही रंगो से भरा ये जहान है लेकिन तेरे ही रंग में मैं खुद को संजोती हूं सोचती हूं बनेगा सात रंगों से आशियाना हमारा तेरे ही खयालों में मैं दिन रात होती हूं डरती हूं टूट ना जाए ख्वाब मेरा थोड़ा थोड़ा तुझको खुद में दिन रात पिरोती हूं करले चाहे तू कितनी ही खुदगर्ज़ी फिर भी तेरी मर्जी में शामिल हर बार होती हूं #colourful#life