जब से मंत्री बन गए , बेटा चंदूलाल शान निराली हो गई , शुर्ख हो गए गाल शुर्ख हो गए गाल , न वोटर को पहचाने मां की रही न याद , बाप को बाप न माने हास्य रस कविता उदहारण