दो तरह के लोग मेरे देश में कुछ भेंड़ हैं कुछ भेड़िया हैं दोनो ही प्रवृत्ति वाले लोग मेरे देश की बेड़ियां हैं।।। भेडें, सिर्फ नकल करेंगी अंधाधुंध अनुसरण करेंगी नाम, दाम, अंधविश्वास लालच मूर्खता के चलते सबकुछ सबको दांव पर लगा सब खत्म कर, खुद भी मरेंगी भेड़िये, मुफ्तखोरी हरामखोरी असीमित भूख , जमाखोरी दलाली, जुगाड़ी और चंद पैसों के लिए अफवाहों का बाजार गर्म कर भेड़ो का निर्बाध शिकार करेंगे हर व्यवस्था चौपट करेंगे अंत मे खुद भी मरेंगे देश को स्वतंत्रता चाहिए भेंड़ और भेड़ियों से ज्ञान चाहिए, सम्मान चाहिए आत्मावलोकन कर नेत्र सबके प्रकाशवान चाहिए तब करेंगे हम तरक्की तब स्वतंत्र होगा देश तब स्वतंत्र होंगे हम #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #swatantratadivas #desh