बेख़ौफ़ फिरूं मैं, बेखौफ़ फिरू में, अब क्यों कीसी से डरू में, उड़ता परिंदा हूं में , फ़िर क्यों जमीं पर चलूं में मेरी उड़ान है बादलो से उँची, फ़िर क्यों बारिश में भीगू में खौफ़ नहीं अब मुझ में, हर रोज़ तूफ़ानो से खेलूं में जिंदगी के सर्कस में, बेखौफ़ करतब करूं में बेखौफ़ फिरू में