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योग सिर्फ शरीर के अंगों को दायें-बायें मोड़ना, माथ

योग सिर्फ शरीर के अंगों को दायें-बायें मोड़ना, माथे के बल उल्टा लेटना या टांगों को ऊपर-नीचे करना ही नहीं है| बल्कि यह उससे कहीं ऊँचे स्तर की क्रिया है| हमारे संस्कृत में योग का सामान्य अर्थ है 'जोड़ना' अर्थात योग यानी शरीर को आत्मा से जोड़ना| एवं योगी अर्थात इसे 'जोड़ने वाला', स्थूल शरीर को उस सूक्ष्म शरीर से जोड़ने वाला जिसकी सीमाएँ अनंत हैं|

©Rudra magdhey Abhijeet विचारों की गठरी में से
#YogaDay2022
योग सिर्फ शरीर के अंगों को दायें-बायें मोड़ना, माथे के बल उल्टा लेटना या टांगों को ऊपर-नीचे करना ही नहीं है| बल्कि यह उससे कहीं ऊँचे स्तर की क्रिया है| हमारे संस्कृत में योग का सामान्य अर्थ है 'जोड़ना' अर्थात योग यानी शरीर को आत्मा से जोड़ना| एवं योगी अर्थात इसे 'जोड़ने वाला', स्थूल शरीर को उस सूक्ष्म शरीर से जोड़ने वाला जिसकी सीमाएँ अनंत हैं|

©Rudra magdhey Abhijeet विचारों की गठरी में से
#YogaDay2022