मई में ही लगा था दाल में कुछ काला है मेरे साथ-साथ दिल में किसी गैरों को भी पाला है जब मै सच का बोल बोला है तब शहर में पिटाया ढ़िंढ़ोरा है कि वो देखो शायर बदनाम है।। nojoto shayr bdnam