“रिश्तों का एहसास समझ लिया करो “ ★★★★★★★★★★★★ माना कि, हम तुम्हारे नहीं हैं, पर, इतना भी गैर मत समझा करो।। नहीं आस रही किसी से कि, कोई हमारी फिक्र करें, पर, जरा-सी कद्र तुम भी कर लिया करो।। गुमसुम से रहने लगे हैं, हम आजकल, पर, तुम हमारी खामोशी को पढ़ लिया करो।। जो लफ्ज़ कह न पाये हम, पर, तुम हमारे अल्फ़ाज तो समझ लिया करो।। वजह से तो सब याद करते हैं हमें, पर, तुम कभी बेवजह याद कर लिया करो।। हर दर्द बयां नहीं होता अब हमसे, पर, तुम हमारी आँखें पढ़ लिया करो।। यूँ, तो अकेले हम हर रात रोते हैं, पर, तुम कभी तो हमारी जुल्फ़ें सहलाकर सुला दिया करो।। यूँ, तो हमारी मंजिल को गुमराह करने वाले बहुत हैं, पर, तुम हमारे हमराही बन जाया करो।। खामियाँ तो बहुत हैं, हमारे अंदर, पर, तुम हमारी खूबियाँ भी तलाश लिया करो।। हाँ, गुस्सा बहुत करते हैं हम, पर, तुम प्यार से बात कर लिया करो।। इतने काबिल नहीं हैं, हम तुम्हें पाने में, पर, तुझमें उलझे रहें हम, ये दुआ तो किया करो।। यूँ, तो हजारों जख़्म मिले हैं, जिंदगी में, पर, तुम थोड़ा मरहम तो लगा दिया करो।। परेशान -से रहते हैं, हम हर वक्त, पर, तुम कुछ ख्वाब बुन दिया करो।। यूँ, तो बहुत हैं ,हमें आजमाने वाले, पर, तुम हमारे जज्ब़ातों को ना ठुकराया करो।। टूटने लगे हैं, हम इस कदर, पर, तुम हमारे मन के धागे पिरो दिया करो।। लेकर हम हर गम सदा मुस्कराते हैं, पर, तुम समुद्र से गहरे गम में हमारी मुस्कान लौटा दिया करो।। - Vimla Choudhary #रिश्तों का एहसास#