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कहने को तो दूर है तू मुझसे, पर मुझ में कहीं तू बाक

कहने को तो दूर है तू मुझसे,
पर मुझ में कहीं तू बाकी रह गया,
हों बेशुमार किस्से अपने ऐसे पुराने,
उन्हें ज़माने को जताना बाकी रह गया,
सपने बहुत से जो करने हमे साथ पूरे थे,
उन्हे पूरा करना बाकी रह गया,
हमें तो लिखनी पूरी किताब ज़िन्दगी की थी,
पर बनकर महज़ वो एक किस्सा रह गया,
आना तो तुम्हे हमारे हिस्से में था,
पर हमारा होकर रह जाना तुम्हारा बाकी रह गया,
सजा तो लिया था वो गुलदस्ता फूलों का हमने,
पर उसमें खुशबू देना बाकी रह गया,
यूं तो कई पन्ने लिख दिए थे हमने अपनी कहानी के,
पर लिखना वो आखिरी पन्ना बाकी रह गया।।

©Shagun✍ 31/01/2021
कहने को तो दूर है तू मुझसे,
पर मुझ में कहीं तू बाकी रह गया,
हों बेशुमार किस्से अपने ऐसे पुराने,
उन्हें ज़माने को जताना बाकी रह गया,
सपने बहुत से जो करने हमे साथ पूरे थे,
उन्हे पूरा करना बाकी रह गया,
हमें तो लिखनी पूरी किताब ज़िन्दगी की थी,
पर बनकर महज़ वो एक किस्सा रह गया,
आना तो तुम्हे हमारे हिस्से में था,
पर हमारा होकर रह जाना तुम्हारा बाकी रह गया,
सजा तो लिया था वो गुलदस्ता फूलों का हमने,
पर उसमें खुशबू देना बाकी रह गया,
यूं तो कई पन्ने लिख दिए थे हमने अपनी कहानी के,
पर लिखना वो आखिरी पन्ना बाकी रह गया।।

©Shagun✍ 31/01/2021
ankitasingh1740

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