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ऐ जिंदगी रफ्तार मे हरदम न गुजरा कर दौर-ए-क़रार दे

ऐ  जिंदगी रफ्तार मे हरदम न गुजरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो ठहरा कर
अश्क़ों की गहरी नदी मे नांव है उम्मीद की
बैठे हैं तनहा ज़हन मे है यादों की भीड़ सी
भटक ना जाउं मै किनारा नांव पे पहरा कर
 
ग़म के धूप संग दिया सितम का जो हवा
हिस्से के हिज़्र का भी करेंगे ना शिकवा
बन के ज़रा तबस्सुम इन लबों पे पसरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो  ठहरा कर
 
जिंदगी तेरे वास्ते क्या से क्या कर गये
हद्द से गुज़र गये संवर के बिखर गये
मेरे वास्ते ऐ जिंदगी कभी तो संवरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो ठहरा कर #river ऐ जिंदगी
Hindi Poem written by me
ऐ  जिंदगी रफ्तार मे हरदम न गुजरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो ठहरा कर
अश्क़ों की गहरी नदी मे नांव है उम्मीद की
बैठे हैं तनहा ज़हन मे है यादों की भीड़ सी
भटक ना जाउं मै किनारा नांव पे पहरा कर
 
ग़म के धूप संग दिया सितम का जो हवा
हिस्से के हिज़्र का भी करेंगे ना शिकवा
बन के ज़रा तबस्सुम इन लबों पे पसरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो  ठहरा कर
 
जिंदगी तेरे वास्ते क्या से क्या कर गये
हद्द से गुज़र गये संवर के बिखर गये
मेरे वास्ते ऐ जिंदगी कभी तो संवरा कर
दौर-ए-क़रार दे और ज़रा तो ठहरा कर #river ऐ जिंदगी
Hindi Poem written by me
beenarai3244

Beena

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