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पांव में छाले थे फिर भी वो दौड़कर सबको पछाड़ देता

पांव में छाले थे फिर भी वो दौड़कर सबको पछाड़ देता है
भूख लगी खाने को रोटी न थी
हद ए जुनून से गुजर गया वो जीत के आगे भूख भी याद न रही

शायर आयुष कुमार गौतम पांव में छाले थे
पांव में छाले थे फिर भी वो दौड़कर सबको पछाड़ देता है
भूख लगी खाने को रोटी न थी
हद ए जुनून से गुजर गया वो जीत के आगे भूख भी याद न रही

शायर आयुष कुमार गौतम पांव में छाले थे