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White रात उतनी भी काली नही थी जितना दिन में अंधेरा

White रात उतनी भी काली नही थी
जितना दिन में अंधेरा मिला 
रात दवा का सहारा मिला था
जिसको खाते ही नींद आ गई 

इन दीवारों से क्या ही कहूं मैं 
मुझे इनका ही पेहरा मिला ,,,
आंख लगाते ही चांद दिखा 
जैसे जीवन में ईद आ गई 

आंख खुलते ही सपनो को
रास्ता टेढ़ा मेढ़ा मिला
सूरज निकलते ही भूख बढ़ी 
घर छोड़ने की उम्मीद आ गई 

जिससे मरहम का सोचा मैने 
उससे ही जख्म गहरा मिला
अपनो ने ख़बर तक नही ली 
पराओ की ताबीज़ आ गई 

रात उतनी भी काली नही थी
जितना दिन में अंधेरा मिला 
रात दवा का सहारा मिला था
जिसको खाते ही नींद आ गई 

पुनीत कुमार नैनपुर

©punit shrivas #natojo 
#shayri 
#Poetry 
#poem
White रात उतनी भी काली नही थी
जितना दिन में अंधेरा मिला 
रात दवा का सहारा मिला था
जिसको खाते ही नींद आ गई 

इन दीवारों से क्या ही कहूं मैं 
मुझे इनका ही पेहरा मिला ,,,
आंख लगाते ही चांद दिखा 
जैसे जीवन में ईद आ गई 

आंख खुलते ही सपनो को
रास्ता टेढ़ा मेढ़ा मिला
सूरज निकलते ही भूख बढ़ी 
घर छोड़ने की उम्मीद आ गई 

जिससे मरहम का सोचा मैने 
उससे ही जख्म गहरा मिला
अपनो ने ख़बर तक नही ली 
पराओ की ताबीज़ आ गई 

रात उतनी भी काली नही थी
जितना दिन में अंधेरा मिला 
रात दवा का सहारा मिला था
जिसको खाते ही नींद आ गई 

पुनीत कुमार नैनपुर

©punit shrivas #natojo 
#shayri 
#Poetry 
#poem