कभी जो दिए हमने जलाए थे। उन्हें बुझाने का वक्त आ गया है। मुझे यादें भी दर्द दे रही है अब। इश्क भुलाने का वक्त आ गया है। सोया मगर नींद मुकम्मल न हुई। नींद से जगाने का वक्त आ गया। बहुत सुने हैं लोगों के जुबान से मुझे कहानी सुनाने का वक्त आ गया है ©Zia Hasan #Thoughts