न जाने क्या कशिश है समंदर के पानी में मै बस खिंची चली जाती हूँ घंटों बैठ कर किनारे पर न जाने उसकी ख़ामोशी से क्या-क्या कह जाती हूँ ज़ब्त करता है वो अपने सीने में मै अपना दर्द, थोड़ा सा, उस से बांट आती हूँ राहत पाकर थोड़ी सी मै ज़िंदगी "जीने" के लिए, फिर लौट आती हूं सच कहती हूँ रूह अपनी लेकिन, मै वहीं, समंदर के किनारे छोड़ आती हूं #समंदरकाकिनारा #NojotoHindi #NojotoUrdu #Nojoto