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बिखर जाओ कभी तो , समेट तुम लेना खुद को ही ! ज़ख्म

बिखर जाओ कभी तो , 
समेट तुम लेना खुद को ही !
ज़ख्म दिखाया औरों को , 
पाओगे ठगा सा खुद को ही !!
अपना दर्द बस अपना है , 
दूसरों के लिए तमाशा है !
समझ सकें जो हाल -ए- दिल ,
आईने में देख लेना खुद को ही !! जाके पाँव ना फटी बिवाई 
वो क्या जाने पीर पराई .....

बस कुछ यूँ ही ख्याल !!!!
बिखर जाओ कभी तो , 
समेट तुम लेना खुद को ही !
ज़ख्म दिखाया औरों को , 
पाओगे ठगा सा खुद को ही !!
अपना दर्द बस अपना है , 
दूसरों के लिए तमाशा है !
समझ सकें जो हाल -ए- दिल ,
आईने में देख लेना खुद को ही !! जाके पाँव ना फटी बिवाई 
वो क्या जाने पीर पराई .....

बस कुछ यूँ ही ख्याल !!!!

जाके पाँव ना फटी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई ..... बस कुछ यूँ ही ख्याल !!!!