पता नहीं कुछ बदला भी है या नहीं,, पर अब तुझे हक़ से शायद कभी कह ना पाऊँ, कभी भी, किसी भी वक़्त, आधी रात को ही सही, कि यार, जाग रहा है तो बात कर ले थोड़ी देर... कि सुन न,, तेरी बहुत याद आ रही है, बहुत याद आ रही है... क्या तू जाग सकता है, कुछ देर मेरे लिए?? मेरा साथ देने के लिए?? तेरी बहुत ज़रूरत है..... मेरे उसी दोस्त की, जिसके साथ मेरे बहुत सारे रिश्ते हैं, और जिससे मैं आईने में देखकर भी लड़ती रहती हूँ... काश, कि तू साथ दे दे... बिल्कुल उसी तरह, जैसे उस रोज़ मेरे कंधे पर हाथ रखकर और मेरा हाथ पकड़कर, तू मुझे उस भीड़ से बच्चों की तरह दूर ले आया था, जहाँ कुछ लोग झगड़ रहे थे. बिल्कुल उसी तरह, जिस तरह तूने मुझे सड़क पर चलते हुए कुछ गाड़ियों से बचा लिया था, और कहा था, "सही से चल ना पागल सा".. बिल्कुल उसी तरह, जैसे उस रोज़ खाने के बाद अचानक से तूने मेरा हाथ पकड़ लिया था, और मेरी उँगलियों को ऐसे साफ कर रहा था, जैसे कि कोई छोटी बच्ची हूँ मैं... बिना माँगे जाने कितना कुछ दिया है तूने मुझे,, आज तो माँग रही हूँ, तब भी तू मुझे थोड़ा सा वक़्त और नहीं दे सकता?? तूने ही तो कहा था कि हाँ, " है फ़िक्र तेरी" तो फ़िर,, कुछ देर बिना दुनियादारी समझाये, बस साथ खड़ा नहीं रह सकता?? ©Neerja Miss you janeman, ha, "janeman".. yhi to bolti aai hu na aj tk? Teri dost ko teri jrurat h yr..