गुरु, कच्चे मटके की थाप है । गुरु, पुन्य कर्मो का प्रताप है । गुरु, अंधेरे में जलता दीप है । गुरु, मोतीयों से भरा सीप है । गुरु, सत्य है ईश्वर का रूप है । गुरू, ठंड की गुनगुनी धूप है । गुरु, अज्ञान का संहार है । गुरू, ज्ञान का भंडार हैं। #गुरूपूर्णिमा#pawansarathe