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आदित्य मुहब्बत का बहुत तजुर्बा है साहब, लोग खिलौना

आदित्य मुहब्बत का बहुत तजुर्बा है साहब,
लोग खिलौना समझकर खेलते है,
आईना समझकर छोड़ जाते हैं,,,,,
जिससे हो सच्ची मुहब्बत वो जहर थमाकर जीने के लिए बोल जाते हैं,,,
कवि आदित्य बजरंगी
आदित्य मुहब्बत का बहुत तजुर्बा है साहब,
लोग खिलौना समझकर खेलते है,
आईना समझकर छोड़ जाते हैं,,,,,
जिससे हो सच्ची मुहब्बत वो जहर थमाकर जीने के लिए बोल जाते हैं,,,
कवि आदित्य बजरंगी