उदास कमरा, उदास मौसम, उदास लम्हे, उदास ज़िन्दग़ी और उदास फूल, पत्ते व शजर, कितनी चीज़ों पे शिरीन, इलज़ाम लगता है साहब, बस इक तेरे ही बात ना करने पर। mukeem Ahmad