पुराने रिश्ते सम्भाले जाते नहीं मुझसे नए रिश्ते की पहल कैसे कर लूँ मैं एहसासों से एक रिश्ता बना मेरा नए रिश्ते के ख़ातिर उसे कैसे छोड़ जाऊँ मैं बचपन से हमें यही तो शिक्षा देते है हर रिश्ते को दिल से निभाऊँ मैं निभा ना पाऊँ मैं ज़बरदस्ती के रिश्ते को, उससे कैसे जुड़ जाऊँ मैं चलो मान भी जाऊँ मैं समाज और अपनों की ख़ुशी के ख़ातिर.. जिसे दिलों जान से चाहा है, उसे कैसे भूल जाऊँ मैं! सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "नए रिश्ते की पहल" बहुत ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।