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कभी खुशनुमा तो, कभी गमगीन सी रहती है जिंदगी। कभी



कभी खुशनुमा तो, कभी गमगीन सी रहती है जिंदगी।
कभी सुकून से तो, कभी इत्मेनानी से भरी है जिंदगी।

कभी पतझड़ के मौसम में भी बहार सी है यह जिंदगी।
कभी बहारों के मौसम में भी बेजार सी है यह जिंदगी।

कांटो के बीच खिले गुलाब सी खूबसूरत है यह जिंदगी।
खुदा की इनायत से ही सबकी गुलजार है यहां जिंदगी।

धूप- छांव, सुख- दु:ख से हमेशा भरी रहती है जिंदगी।
फिर भी बेपनाह मोहब्बत करते हैं तुझसे ऐ मेरी जिंदगी।  

कभी तन्हाइयों,कभी रुसवाईयों से घिरी रहती है जिंदगी। 
कभी ख्वाहिशें जगाती,कभी महफिलें सजाती है जिंदगी।

कभी होकर मस्त-मगन गगन में गाती फिरती है जिंदगी।
कभी संजीदगी से भरकर शांत सी हो जाती है जिंदगी।

जार- जार रुलाती है कभी बेपनाह प्यार लाती है जिंदगी। 
खुशियों के मोती लुटाती गमों से भी मिलवाती है जिंदगी। 

कभी हौसलों को बढ़ाती,कभी कमजोर बनाती है जिंदगी। 
कभी दूसरों के लिए मरना और जीना सिखाती है जिंदगी। 

कभी धूप की तपिश सी गर्म और बेहाल होती है जिंदगी। 
कभी बारिश की शीतल ठंडी फुहारों सी लगती है जिंदगी।
 
तुझसे नाराजगी नहीं, तुझपे इख्तियार है, तू अपनी है जिंदगी। 
खुदा की रहमत से हर लम्हा हर हाल में गुलजार-ए-जिंदगी।
-"Ek Soch"

 #गुलज़ार_ए_ज़िन्दगीे_team_alfaz
#new_challenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

 *गुलज़ार ए ज़िन्दगीे*


कभी खुशनुमा तो, कभी गमगीन सी रहती है जिंदगी।
कभी सुकून से तो, कभी इत्मेनानी से भरी है जिंदगी।

कभी पतझड़ के मौसम में भी बहार सी है यह जिंदगी।
कभी बहारों के मौसम में भी बेजार सी है यह जिंदगी।

कांटो के बीच खिले गुलाब सी खूबसूरत है यह जिंदगी।
खुदा की इनायत से ही सबकी गुलजार है यहां जिंदगी।

धूप- छांव, सुख- दु:ख से हमेशा भरी रहती है जिंदगी।
फिर भी बेपनाह मोहब्बत करते हैं तुझसे ऐ मेरी जिंदगी।  

कभी तन्हाइयों,कभी रुसवाईयों से घिरी रहती है जिंदगी। 
कभी ख्वाहिशें जगाती,कभी महफिलें सजाती है जिंदगी।

कभी होकर मस्त-मगन गगन में गाती फिरती है जिंदगी।
कभी संजीदगी से भरकर शांत सी हो जाती है जिंदगी।

जार- जार रुलाती है कभी बेपनाह प्यार लाती है जिंदगी। 
खुशियों के मोती लुटाती गमों से भी मिलवाती है जिंदगी। 

कभी हौसलों को बढ़ाती,कभी कमजोर बनाती है जिंदगी। 
कभी दूसरों के लिए मरना और जीना सिखाती है जिंदगी। 

कभी धूप की तपिश सी गर्म और बेहाल होती है जिंदगी। 
कभी बारिश की शीतल ठंडी फुहारों सी लगती है जिंदगी।
 
तुझसे नाराजगी नहीं, तुझपे इख्तियार है, तू अपनी है जिंदगी। 
खुदा की रहमत से हर लम्हा हर हाल में गुलजार-ए-जिंदगी।
-"Ek Soch"

 #गुलज़ार_ए_ज़िन्दगीे_team_alfaz
#new_challenge

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 *गुलज़ार ए ज़िन्दगीे*