"शाम ढल आयी पर ये इश्क़ न ढला, वो मेरे हक़ में था पर संग न चला, देखता रहा दूर से टकटकी लगाये, मेरी ओर फिर वो एक कदम न चला. शायद मान ली होगी उसने भी हार, न कर पाएंगे सपने हम कभी साकार, यही सोच के मुंह वो मुझसे मोड़ चला, वो मेरे हक़ में था पर मेरे संग न चला. कोई शिकायत नहीं उस से अब मुझे, वक़्त मेरा खराब था जो मेरा न चला. इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा कुछ भी नहीं, बीता इतिहास था जो अब मिट चला.. शाम ढल आयी पर ये इश्क़ न ढला, वो मेरे हक़ में था पर मेरे संग न चला..!!" #NojotoQuote "गुज़रती शाम को देखते हैं अब तन्हा हुए, काश कोई हो जो हाथ थामे उस वक़्त मेरा..!!" #Naval_Poetry #Memories