निराश हताश व्यथित मन ताम्र रंग ज्यों हरियल पात आरोह-अवरोह श्वास पग लहरें ज्यों तीव्र टकराती घाट दुविधा अपार नहीं कोई द्वार निशाकर विहीन ज्यों आकाश मूक मन की कर्णबेधी पुकार प्रियतम बधिर ज्यों विरत कर्ण 🌹 11/11/2020 #mनिर्झरा #feelings #yqdidi #yqhindi #yqquotes