धाराएं अपना रास्ता खुद बना लेती हैं चाहे राह में लाख पत्थर भी क्यों न आए वो अगल से बगल से या उसे धकेलकर आगे बढ़ जाती है मुश्किलें तो उसे भी होती है आगे बढ़ने में फिर क्यों इंसान आगे बढ़ने के लिए मजबूरियों और लाचारियों का राग गाता है वो क्यों नहीं अपनी राह बनाता वो खुद क्यों नहीं अपना फैसला अपना रास्ता तय कर पाता और जो फैसले लेते हैं अपनी राह खुद बनाते हैं सफलता उनके कदम चूमती है और निक्कमों और बहानेबाजों को जिंदगी भर हार का स्वाद चखाती है.. ©Kalpana Srivastava #सफलता