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गर खुली रहती तो कोई बात थी बंद खिडकी के नजारे क्य

गर खुली रहती तो कोई बात थी 
बंद खिडकी के नजारे क्या करूँ, 
बेखुदी में तोड़ ही लेता हूँ मैं
फूल होते ही हैं प्यारे क्या करूँ,,

Skp #mazburiyan
गर खुली रहती तो कोई बात थी 
बंद खिडकी के नजारे क्या करूँ, 
बेखुदी में तोड़ ही लेता हूँ मैं
फूल होते ही हैं प्यारे क्या करूँ,,

Skp #mazburiyan