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भारत की पवित्र मातृभूमि को मेरा प्रणाम! खेलते आईं

भारत की पवित्र मातृभूमि को मेरा प्रणाम!
खेलते आईं हैं जिनकी गोद में,
नदियाँ कई सैंकड़ों साल,
जिनके सर पर विराजमान है
हिमालय का ताज।
हाँ, मैं उन्हीं की बेटी हूँ,
जो जानती है न्याय का हर पाठ।
धर्म जिस भूमि का कैवल्य है,
वहीं मेरी माँ भारती का गहना है,
जो न कभी छूटा है,
न कभी छूटेगा।
जो नाम है लोकतंत्र का,
वहीं मेरी भूमि है...
मेरा प्रथम प्रेम
और आखिरी संकल्प,
मेरे तिरंगे का सम्मान सर्वोच्च है।

©Anu Chatterjee Happy 75th Independence Day!

#Independence
भारत की पवित्र मातृभूमि को मेरा प्रणाम!
खेलते आईं हैं जिनकी गोद में,
नदियाँ कई सैंकड़ों साल,
जिनके सर पर विराजमान है
हिमालय का ताज।
हाँ, मैं उन्हीं की बेटी हूँ,
जो जानती है न्याय का हर पाठ।
धर्म जिस भूमि का कैवल्य है,
वहीं मेरी माँ भारती का गहना है,
जो न कभी छूटा है,
न कभी छूटेगा।
जो नाम है लोकतंत्र का,
वहीं मेरी भूमि है...
मेरा प्रथम प्रेम
और आखिरी संकल्प,
मेरे तिरंगे का सम्मान सर्वोच्च है।

©Anu Chatterjee Happy 75th Independence Day!

#Independence

Happy 75th Independence Day! #Independence #Poetry