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वसल -ए -हसरत है मुझे निंदिया कहां लागे। रात को पुक

वसल -ए -हसरत है मुझे निंदिया कहां लागे।
रात को पुकारते- पुकारते दिन में तेरी फुरकत में ही जागे।
मोहब्बत की रस्सी इतनी जल्दी  टूटती नहीं।
फिर भी रह जाते  हैं कुछ तो उसमें धागे।

वसल-ए-हसरत-:मिलाप की कामना 
फुरकत- जुदाई
                                     हिम्मत सिंह writing#thinking#ludhiana#pau
punjabipeotry#hindipeotry#urdupeotry#💓💓💓###💘💘💘##🎶🎶🎶###✍️✍️✍️✍️###
वसल -ए -हसरत है मुझे निंदिया कहां लागे।
रात को पुकारते- पुकारते दिन में तेरी फुरकत में ही जागे।
मोहब्बत की रस्सी इतनी जल्दी  टूटती नहीं।
फिर भी रह जाते  हैं कुछ तो उसमें धागे।

वसल-ए-हसरत-:मिलाप की कामना 
फुरकत- जुदाई
                                     हिम्मत सिंह writing#thinking#ludhiana#pau
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Himmat Singh

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