अंतस पीड़ा घनघोर गर्जन प्रिय दूर कासे कहे मन दग्ध हृदय आकुल मन कित चितचोर जाने कौन नैन प्यासे तकत दिन-रैन आवहुँ प्रियतम नहीं चैन श्यामल अंग श्यामल साँझ नैन झरत बस तोरी आस बरसो बन मेघराज प्रिय तृप्त करो विदग्ध चित मोर Muनेश...Meरी✍️🌹🌹 #yqdidi #yqhindi#bestyqhindiquotes #yqbesthindiquotes #yqlove #yqsahitya #yqpoetry