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होश में आ कुछ कर सकने लायक इस शरीर में जोश रख

होश में आ

कुछ  कर  सकने लायक इस शरीर में जोश रख
 
तू हारा नहीं  है कम  से कम इतना तो होश रख

सोच  रख   इस  जहाँ में  कुछ  कर  दिखाने  की

सदैव  !  आगे  बढ़ने  की ,  बस  तू  ; पहुँच  रख

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद होश में आ....कीर्तिप्रद
होश में आ

कुछ  कर  सकने लायक इस शरीर में जोश रख
 
तू हारा नहीं  है कम  से कम इतना तो होश रख

सोच  रख   इस  जहाँ में  कुछ  कर  दिखाने  की

सदैव  !  आगे  बढ़ने  की ,  बस  तू  ; पहुँच  रख

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद होश में आ....कीर्तिप्रद

होश में आ....कीर्तिप्रद