उलझे है हम जिंदगी के सवालों में, जब होना ही था हम पर अत्याचार, तो क्यों बनाया औरत को इतना लाचार, करुणा की देवी हमेशा प्यार ही बरसाती है, फिर क्यों पग पग पर दुतकारी जाती है। बेटी के पैदा होने पर मातम सा छा जाता है, मां बाप को बेटी की सुरक्षा का गम खा जाता है, हर पल, हर पहर डर सा बना रहता है। सौजन्य से:- साहित्यिक समाज 👉आइए आज लिखते हैं कुछ स्त्रियों के सम्मान पर ... यह कोई प्रतियोगिता नही और न ही "साहित्यिक समाज" किसी भी कवि/ कवियित्रियों को हार जीत के तराज़ू में तौलने को इच्क्षुक है, यहाँ लिखने और सीखने में रुचि रखने वालों के लिए प्रत्येक दिन सिर्फ एक विषय दिया जाता है, जिसे वो अपने लेखनी के माध्यम से सजाते व सँवारते हैं। "साहित्यिक समाज" आप सभी कलमकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है। कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-