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दशहरा पर्व का उल्लास न था कोई आस पास मन हुआ व्यथि

दशहरा पर्व का उल्लास
न था कोई आस पास 
मन हुआ व्यथित,
निकल चला, रावण की तलाश
लौट चला भीतर, 
करने लगा सहसा अट्टहास 
मै घबराया, समझ कुछ न आया
बोला-तू रावण से क्या कम है 
उसमें लज्जा, वह सच्चा परिवारी
तभी घुटता  हू,इस तन के भीतर 
तेरी बुराईयाँ, है रावण से भारी

मन के सवाल, कर गये हलाल
रावण का पुतला या अहैँ की खाल
क्या जलाऊ, उलझ गया हू

©Kamlesh Kandpal
  #rawan