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ज़िसे नफरत थी कभी मेरी सूरत से, आज वो मेरी फोटो से

 ज़िसे नफरत थी कभी मेरी सूरत से, आज वो मेरी फोटो से दिल लगा बैठे ! जिसे ठुकराया था कभी पत्थर की तरह, आज भरी महफ़िल में मुझे गले लगा बैठे !
जिन्हे शर्म आती थी कभी अपना कहने में मुझे , आज मेरी नाम की मेहँदी अपनी हाथो में लगा बैठी ! 
जिसे रुलाया था कभी बेवजह मोहब्बत में, आज उसी मोहब्बत के लिये अपनी आँखे भीगा बैठी ! 
जिसे छोड़ा था तनहा कभी बीच रास्ते में, आज उसी  रास्ते पर मेरी वापस लौट आने के इंतज़ार में बैठी !
अब फ़र्क़ नहीं पड़ता तेरे इन झूठे फ़सानो से, मुमकिन नहीं मेरा लौट आना तेरे बुलाने से ! 
हो सके तू भी भूल जाना मुझे किसी बहाने से, 
अगर ना मिले बहाना तो कह देना बेवफा थे हम, 
शायद फिर कोई इन्जाम ना लगाये तुम पर कभी मेरे बेवफा कहे जाने पर !
 ज़िसे नफरत थी कभी मेरी सूरत से, आज वो मेरी फोटो से दिल लगा बैठे ! जिसे ठुकराया था कभी पत्थर की तरह, आज भरी महफ़िल में मुझे गले लगा बैठे !
जिन्हे शर्म आती थी कभी अपना कहने में मुझे , आज मेरी नाम की मेहँदी अपनी हाथो में लगा बैठी ! 
जिसे रुलाया था कभी बेवजह मोहब्बत में, आज उसी मोहब्बत के लिये अपनी आँखे भीगा बैठी ! 
जिसे छोड़ा था तनहा कभी बीच रास्ते में, आज उसी  रास्ते पर मेरी वापस लौट आने के इंतज़ार में बैठी !
अब फ़र्क़ नहीं पड़ता तेरे इन झूठे फ़सानो से, मुमकिन नहीं मेरा लौट आना तेरे बुलाने से ! 
हो सके तू भी भूल जाना मुझे किसी बहाने से, 
अगर ना मिले बहाना तो कह देना बेवफा थे हम, 
शायद फिर कोई इन्जाम ना लगाये तुम पर कभी मेरे बेवफा कहे जाने पर !