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काश ये वक्त, थम सा जाता। उम्र का बढ़ना, रुक सा जाता

काश ये वक्त, थम सा जाता।
उम्र का बढ़ना, रुक सा जाता।

कभी ना बिछुड़ते, अपने हमसे
हर किसी का मरना, टल सा जाता।

लड़ाई झगड़े कभी न होते
आपस में प्यार बन सा जाता।

धर्म के नाम पर दरारे न होती।
 पूरी दुनिया ही, एक देश कहलाता।

काश ये सब सच हो पाता।
काश ये वक़्त, थम सा जाता I

©Sukhbir Singh Alagh
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