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                 #विषय # बच्चों तुम ये समझो ना रे,

                 #विषय #
बच्चों तुम ये समझो ना रे,
हिन्दी बस है एक खेल रे।
अपनी  है  ये मातृभाषा,
स्वर व्यंजनों का मेल रे।।

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

जब इसकी 52 अक्षरों को समझ जाओगे, 
अपनी लवों से ही इसकी गुणों को गाओगे। 
सभी भाषाओं से है इसकी अलग पहचान रे, 
भू की हर रज कण में बसा है इसकी जान रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

देवों की है  मुख की वाणी, 
है देवनागरी जिसकी लिपि रे । 
अलंकारों से है सुशोभित, 
जिसके बदन की हर शेल रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

ये है भौतिकी, रसायन शास्त्र, 
भूगोल और इतिहास का मेल रे। 
बिना इसके पढें तुम तो होंगे, 
जीवन के परीक्षा में फेल रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

✍🏻कुंदन, पूर्णिया 
(बिहार)                  #हिन्दी #

बच्चों तुम ये समझो ना रे,
हिन्दी बस है एक खेल रे।
अपनी  है  ये मातृभाषा,
स्वर व्यंजनों का मेल रे।।

बच्चों तुम................ रे,
                 #विषय #
बच्चों तुम ये समझो ना रे,
हिन्दी बस है एक खेल रे।
अपनी  है  ये मातृभाषा,
स्वर व्यंजनों का मेल रे।।

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

जब इसकी 52 अक्षरों को समझ जाओगे, 
अपनी लवों से ही इसकी गुणों को गाओगे। 
सभी भाषाओं से है इसकी अलग पहचान रे, 
भू की हर रज कण में बसा है इसकी जान रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

देवों की है  मुख की वाणी, 
है देवनागरी जिसकी लिपि रे । 
अलंकारों से है सुशोभित, 
जिसके बदन की हर शेल रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

ये है भौतिकी, रसायन शास्त्र, 
भूगोल और इतिहास का मेल रे। 
बिना इसके पढें तुम तो होंगे, 
जीवन के परीक्षा में फेल रे।। 

बच्चों तुम................ रे,
..................... खेल रे। {२}

✍🏻कुंदन, पूर्णिया 
(बिहार)                  #हिन्दी #

बच्चों तुम ये समझो ना रे,
हिन्दी बस है एक खेल रे।
अपनी  है  ये मातृभाषा,
स्वर व्यंजनों का मेल रे।।

बच्चों तुम................ रे,
kundanspoetry7099

KUNDAN KUNJ

Bronze Star
New Creator

                 हिन्दी # बच्चों तुम ये समझो ना रे, हिन्दी बस है एक खेल रे। अपनी  है  ये मातृभाषा, स्वर व्यंजनों का मेल रे।। बच्चों तुम................ रे,