रातों को अकेले में डर लगने लगा, हम सब दश्त- ए-जनूँ में जी रहे, वबा-ए-कोरोना का दानव मुंह खोले, निगला कितने अज़ीज़ों को क्या बोले, बिगड़े हालातों का जिम्मेदार कौन, महामारी का प्रकोप इंसानों की देन, फ़लक से कोई रहमान आनी नहीं, क्यों इस विषय पर प्रशासन बैठा मौन। ♥️ Challenge-557 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।