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उधर तुम मंदिर मज्जिद पर लड़ रहे हो इधर में दुश्मन

 उधर तुम मंदिर मज्जिद पर लड़ रहे हो
इधर में दुश्मनों की ओर बढ़ रहा हूं
क्या धर्म है मेरा मुझे याद नहीं
में तो बस हिंदुस्तानी होने पर अकड़ रहा हूं

उधर तुम मज्जिद जाने से हिचकिचाते हो
इधर मेरे लिए कोई दुआ पढ़ रहा है
मरता नहीं यहां कोई हिंदू मुस्लिम
यहां तो बस एक हिंदुस्तानी मर रहा है

अलग नहीं है यहां कुछ भी
सब मिलजुलकर साथ ही रहते हैं
मुस्लिम हो या हो कोई हिंदू भाई
सर पर हमेशा भारत मां के हाथ रहते हैं

©Yatendra Gurjar
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