ग़ैरों को लाखों आवाज़ें यूँ तो लगाई हमनें हृदय! मग़र मुख़्तसर कोई ग़ैर हाज़िर न हुआ, एक दफ़ा ग़लती से अपनों को क्या पुकारा हमनें, देखो ना सारे ग़ैर रु-ब-रु हो गए हमसे... -रेखा "मंजुलाहृदय" * ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" फ़िर भी "अपनें तो अपनें होते हैं"🎵🎶🎵 की प्रथा है यहाँ...😃 #Rose #ग़ैर #अपने #रिश्तेदार #Social #Rekhasharma #मंजुलाहृदय #May 31st, 2021 🕛12:12 am