-" दाेहा"- कभी उथला कभी समतल रास्ता आएगा हरदम, मत हंसो इस तरह मुझ पर सुख से ज्यादा भारी हैं गम, -"सुधांशु पांड़े"- सुधांशु दोहावली से,,,,,