सौभाग्य हमारा जगाकर वो कर्त्तव्य निष्ठ हो पालन कर निज स्वार्थ का त्याग कर समय पथ पर चलती वो। दिन-रात का भ्रम छोड़कर आस्तिक सी बनकर वो ले उपवास सन्तान उन्नति का ईश कामना करती वो। सहनशक्ति को अपनी जगाकर नित प्रेम का दीप जलाकर निछल भाव से करती पोषण फिर भी परिक्षित होती पल-पल। वो सीधी-सच्ची सी रूप दूजा ईश्वर का समय छोड़कर भागे आगे लेकिन वो खड़ी आज भी आस की चौखट पर। ©Lalita Pandey #lalitapandey75 #MothersDay