दीपक बन मन खिल गया, रात में यूँ सुबह हुई। मन मंदिर में फूल खिले, जब उससे मेरी बात हुई। जुगनू की तरह चमकती आंखें, जिनको मेरी तलाश हुई। उपवन बन खिला जग सारा, ऐसी यूँ बहार हुई। पुष्प की भांति कोमल काया, हृदय से अनुराग हुई। अंधेरा हुआ था जीवन में, वो मिली तो जिंदगी उज्जवल हुई। - संजू निर्मोही . ©Sanju Nirmohi श्रंगार रस #shringar #shringarras #love❤ #Love #sanjunirmohi #hindikavita #hindi_poetry #hindi_shayari #feellove PS gana Radhika Aradhiya SHANU KI सरगम Aarchi Advani Neha