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तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं तु इस वसुंधरा पर एक

तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं 
तु इस वसुंधरा पर एक वरदान है 
मेरे जीवन की हर सांस है.. 
तु प्रफुल्लित करता मनमोह लेता 
तेरा बलिदान धरा के कागज पर 
मेरे जीवन को कलम बनालूं। ...
तेरा वर्णन मैं लिख नहीं पाऊं  
 हे वृक्ष मुझे याद है मेरा बच्चपन 
तेरी गोद में घनघोर छाया की 
पलकों में खेल कर  बीताया 
हर डाल पर खेला कलामडारी 
तो फल खाने के बहाने तेरी सखा 
की भुजाओं पर जा बैठा 
वो बच्चपन का झूला झूलाने को 
तू मेरे लिए हरदम तैयार रहा तू 
नाना प्रकार के फल, खुशबू दिए 
हमें ज़िंदा रखने के योगदान को 
मैं कैसे भुल जाऊं 
पवन की आहट पत्ते इशारे कर 
हमें देते शकुन जीवन का 
परिदें बना बैठे हैं तुझ में एक छोटा सा जो घरौंदा 
गाए गीत मधुर मिलन का 
तेरा समर्पण मैं कैसे भुल जाऊं 
तू वरदान है भूला नहीं कोई पाए 
फिर सावन में गर्मी तू हमें याद आए 

" मैं गाऊं गीत तेरे "

©motivationl indar jeet guru #तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं 
तु इस वसुंधरा पर एक वरदान है 
मेरे जीवन की हर सांस है.. 
तु प्रफुल्लित करता मनमोह लेता 
तेरा बलिदान धरा के कागज पर 
मेरे जीवन को कलम बनालूं। ...
तेरा वर्णन मैं लिख नहीं पाऊं  
 हे वृक्ष मुझे याद है मेरा बच्चपन
तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं 
तु इस वसुंधरा पर एक वरदान है 
मेरे जीवन की हर सांस है.. 
तु प्रफुल्लित करता मनमोह लेता 
तेरा बलिदान धरा के कागज पर 
मेरे जीवन को कलम बनालूं। ...
तेरा वर्णन मैं लिख नहीं पाऊं  
 हे वृक्ष मुझे याद है मेरा बच्चपन 
तेरी गोद में घनघोर छाया की 
पलकों में खेल कर  बीताया 
हर डाल पर खेला कलामडारी 
तो फल खाने के बहाने तेरी सखा 
की भुजाओं पर जा बैठा 
वो बच्चपन का झूला झूलाने को 
तू मेरे लिए हरदम तैयार रहा तू 
नाना प्रकार के फल, खुशबू दिए 
हमें ज़िंदा रखने के योगदान को 
मैं कैसे भुल जाऊं 
पवन की आहट पत्ते इशारे कर 
हमें देते शकुन जीवन का 
परिदें बना बैठे हैं तुझ में एक छोटा सा जो घरौंदा 
गाए गीत मधुर मिलन का 
तेरा समर्पण मैं कैसे भुल जाऊं 
तू वरदान है भूला नहीं कोई पाए 
फिर सावन में गर्मी तू हमें याद आए 

" मैं गाऊं गीत तेरे "

©motivationl indar jeet guru #तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं 
तु इस वसुंधरा पर एक वरदान है 
मेरे जीवन की हर सांस है.. 
तु प्रफुल्लित करता मनमोह लेता 
तेरा बलिदान धरा के कागज पर 
मेरे जीवन को कलम बनालूं। ...
तेरा वर्णन मैं लिख नहीं पाऊं  
 हे वृक्ष मुझे याद है मेरा बच्चपन

#तेरा बलिदान मैं कैसे भुल जाऊं तु इस वसुंधरा पर एक वरदान है मेरे जीवन की हर सांस है.. तु प्रफुल्लित करता मनमोह लेता तेरा बलिदान धरा के कागज पर मेरे जीवन को कलम बनालूं। ... तेरा वर्णन मैं लिख नहीं पाऊं हे वृक्ष मुझे याद है मेरा बच्चपन #समाज