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द्वंद मन आज सैलाब सा उमड़ रहा घनघोर अंधेरा घुमड़

द्वंद

मन
आज सैलाब सा उमड़ रहा
घनघोर अंधेरा घुमड़ रहा

आज खून भी उबाल पर
चिंता है ललाट पर

आज भय भी प्रचंड सा
द्वंद है अखंड सा

आज शोर भी अजीब है
जैसे सो रहा नसीब है ।

आज शून्य हैं प्राण भी
विखंडित है रामायण भी

हृदय :

भय को जीत, अभय बनो, तपन सहो, बस मौन रहो
सजो तेज़ ललाट पर, मत विचलित हो जीत, हार पर

रूको एक  पल सही, थमने दो समीर को
धर धीरज, खिलेंगें नीरज, मथने दो इस क्षीर को

छोड़ दो द्वंद भला,  हिम्मत कर ग़र खुद चला
रहे संसार भी समर भला, कर भला, होगा भला

बढ़ते रहो, बन कर सरल, संसार का पी कर गरल
बहते रहो जैसे तरल, जीना अभी है, मरना है कल ।


                                              -  आंनद अभय

©sarvan kumar
  Mind vs Heart ♥️
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Anand Abhay

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Mind vs Heart ♥️ #Life

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