लिखी से अपनी टक्करा रहा हू, हां, आज फिर तुझे बुला रहा हू | 1| भुझा दिए थे सबी चिराग रिश्तों के मैने , आफताब, रोज़ नये फिर उगा रहा हू |2| बुलावा