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लिखी  से अपनी टक्करा रहा हू, हां, आज फिर तुझे बुल

लिखी  से अपनी टक्करा रहा हू,

हां, आज फिर तुझे बुला रहा हू | 1|


भुझा दिए थे सबी चिराग रिश्तों के मैने ,

आफताब, रोज़ नये  फिर उगा रहा हू |2| बुलावा
लिखी  से अपनी टक्करा रहा हू,

हां, आज फिर तुझे बुला रहा हू | 1|


भुझा दिए थे सबी चिराग रिश्तों के मैने ,

आफताब, रोज़ नये  फिर उगा रहा हू |2| बुलावा
amitraizada3374

amit raizada

New Creator

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