सोची की बेखबर बन जाऊं , ना किसी से दुश्मनी हो। ना किसी से मोहब्बत हो। फिर सोची की क्यों बनू बेखबर ? फिर कौन करेगा दुश्मनी और मोहब्बतें। #मोहब्बतें #दुश्मनी #विचार #कविता #कहानी #शायरी