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डोर प्रीत की बाँधी तुमसे , अब चाहे जो होना हो ले !

डोर प्रीत की बाँधी तुमसे ,
अब चाहे जो होना हो ले !!

अपने बैरी बन बैठे हैं ,
जबसे तुमसे हाथ मिलाया !
किस किस का हम रोना रोयें ,
साथ नहीं देता है साया !
कटी पतंग सी उड़ती जाए ,
किस्मत खाती है हिचकोले !!

दिन बेगाने , रातें बैरी ,
नींद उड़ी आँखों की ऐसी !
चैन कहाँ दिल को मिलता है ,
जाने बैचेनी है कैसी !
नहीं नज़र के रहे सामने ,
घबराकर यह मन है डोले !!

सपनों ने अब रंग भरा है ,
किलकारी मारे है जीवन !
दिन भरते हैं रोज कुलाँचे ,
देह सुवासित चंदन चंदन !
अधरों पर जो हँसी थिरकती ,
भेद वही मन का है खोले !!

©Manpreet Gurjar
  #harikrishna