खुद से है जंग मेरी खुद को हराना है खुद को हरा के खुद को जिताना है मदहोश हो के अपनी ही दुनिया में बस उसी में खो जाना है कोई बाहर का दुश्मन नही है मेरा जो मेरे अंदर का दुश्मन बना बैठा है बस उसी को मार गिराना है 2 दिन का मेहमान हूं इस जहां में मैं तीसरे दिन फिर मिट्टी में मिल जाना है यूं तो कोई खास लिखारी या शायर नहीं हूं मैं कभी कभी मन के ख्यालों को यूं ही ऐसे ही शब्दों में ढलाना है ©Satish Kumar #खुद_की_तलाश#khud ki talash#poetry#shayar udass Afzal Khan gudiya Rakesh Srivastava Anita Mishra Balihar Sekhon