मां - पापा छाता की छाया से बूंदो से बचा लोगे ममता के आंचल में हर दुख संवारोगे चाहत हुई किसी चीज़ की तो पिता से पूरी करा लोगे अंत में अपनी दौलत से सिर्फ खुद की ज़रूरत ही करा लोगे (!! शौक तो बाप की दौलत से होते है , अपनी से तो ज़रूरतें ही पूरी हुआ करती है !!)