मैं :जीवन (अनुशीर्षक में ....) आहिस्ता आहिस्ता सब धुंधला होता चला जाएगा ये किरदार , ये अभिनय, ये मुस्कुराहटें , ये सफ़र, सब कुछ...... ...........सब कुछ !! मेरी श्वेत हो रही धुंधली बूढ़ी आंखो पर धुंधली माजी की चादर बन के बिखर ....