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मैं :जीवन (अनुशीर्षक में ....) आहिस्ता आहिस्ता सब

मैं :जीवन
(अनुशीर्षक में ....) आहिस्ता आहिस्ता 
सब धुंधला होता चला जाएगा 
ये किरदार ,
ये अभिनय,
ये मुस्कुराहटें ,
ये सफ़र, सब कुछ...... 
...........सब कुछ !!
मेरी श्वेत हो रही धुंधली बूढ़ी आंखो पर धुंधली माजी की चादर बन के बिखर ....
मैं :जीवन
(अनुशीर्षक में ....) आहिस्ता आहिस्ता 
सब धुंधला होता चला जाएगा 
ये किरदार ,
ये अभिनय,
ये मुस्कुराहटें ,
ये सफ़र, सब कुछ...... 
...........सब कुछ !!
मेरी श्वेत हो रही धुंधली बूढ़ी आंखो पर धुंधली माजी की चादर बन के बिखर ....