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तुम चल दिये मुँह मोड़कर ,ऐसे तो कोई जाता नही, मैं

 तुम चल दिये मुँह मोड़कर ,ऐसे  तो कोई जाता नही,
मैं हूँ तेरी याद है तन्हाई है ,बस और कुछ भाता नही ,

मेरे  दिल  की  व्यथा , मेरी आँखों के अश्क़ कह देंगे,
वो ग़म से  बहता दरिया ,  अब आँखों  से जाता नही,

रो रोके  गुज़रता है,  ग़मगीन  सा  ये  ज़ीस्त-ए-सफ़र,
दिल ग़म से भर गया, अब किसी आनंद से नाता नही, 

इन हवाओं से,इन फ़िज़ाओं से ,तेरा ही  पता पूछते हैं,
वो ख़ुदा भी अब  मेरे ग़म  का  हाल समझ पाता नही,

तुम्हारी कमी तो खलती है ,और  हमेशा  खलती रहेगी,
तुम जा बसे उस दुनिया मे, जहाँ से कोई लौट कर आता ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #तुम्हारीकमी