सोचता था मैं कि तुम गिर के संभल जाओगे, रौशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे, न तो मौसम थे न हालात न तारीख न दिन, किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे, (मेरी डायरी संकलन कवि: विष्णु सक्सेना) #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #love #life #pragyathakur Open to collab ❤️ #YourQuoteAndMine Collaborating with Pragya Thakur