किसी बुजुर्ग की भावनाओं को उतनी ही ठेस पहुंचाहियें जितनी आप अपने बुढ़ापे में अपनी भावनाओं के ठेस को बर्दाश कर सकें क्यों कि ये कलयुग हैं यहां हर इक चीज सूत समेट लोटाई जाती हैं फिर चाहे वो आपका कर्मा हों या आपका धर्मा हों _Miss A@ravi'ranjana (rv) ©miss A@ravi rv ranjana #Life_experience #Quotes #Opinion_ &_#Thoughts #The_writer_Miss_A@ravi'ranjana_(rv)